शनिवार, 1 अप्रैल 2017

●●●●जब अंग्रेज पहली बार ओडिशा आए थे●●●●

अंग्रेजों ने सबसे पहले साल 1633 में ओडिशा के तटवर्त्ती क्षेत्रों में अपना वाणिज्य केन्द्र बनवाया । उन्हें मोगल सल्तनत से इसकी अनुमति पत्र तो मिला था मगर उन गोरों ने जहाँ उनको जगह दिया गया था वहीं वाणिज्य केंद्र न बनाकर एक स्थानीय व्यक्ति के जगह पर बना दिया.....
फिर क्या था ....
अगले साथ आठ वर्षों तक दोनों पक्षों के बीच  झगडे दिन व दिन बढते चलेगये और अन्ततः
1644 को स्थानीय लोगों ने अंग्रेज व्यापारीओं पर
ऐसे हमले किए कि वह लोग सब छोडछाडकर
पास के जंगल मे भाग गये.....

अंग्रेज उस हमले से इतने भयभीत हो गये थे कि जंगल में ही कुछ दिनों तक छिपे रहने को सही समझा....

उस जंगल में फलदार वृक्ष कम ही थे मगर
ताड के वृक्ष बहुतायत में मिलजाते थे....
वहाँ उन ताड के वृक्षों में से नशीली रस ताडी निकालने को हांडी लटकाया गया था.....
मारे भुख और प्यास के अंग्रेज वह ताडी़ पिइ कर
आखीर में बिमारी का शिकार होकर मरने लगे.....

पुरानी अंग्रेजी डक्यूमेंट के मुताबिक इस भयनाक अवस्था से बच निकलकर मुट्ठी भर अंग्रेज मद्राज पहँच पाए थे.. .....
मद्राज में भी जब अंग्रेज पैर जमाने में विफल हुए वो बंगाल कि ओर कुच कर गये....

यदि बंगाल में इन कुत्तों कि वाजेगाजे के साथ स्वागत न किया गया होता
वरन पत्थर मारकर भगाया गया होता तो शायद
वह फिर भारत न लौटते उसी जाहाज में  इंलण्ड चलदिए होते.....

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