सोमवार, 3 अप्रैल 2017

●●●●राजस्थानी घुडल पर्व कि सच्चाई●●●●


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हिन्दुत्व को बचाने के लिये आपके द्वारा इस सत्य से हिन्दुओं को अवगत कराना आवश्यक है नही तो कालांतर मे अर्थ का अनर्थ हो सकता है !

मारवाड़ में होली के बाद एक पर्व शुरू होता है ,जिसे घुड़ला पर्व कहते हैं ।जिसमें कुँवारी लडकियाँ अपने सर पर एक मटका उठाकर उसके अंदर दीपक जलाकर गांव और मौहल्ले में घूमती है और घुडला गीत गाती है --
" घुड़लो घूमे छे जी घूमे छे ,घुड़ले रै बांधियो सूत !
घुड़लो घूमे छे जी घूमे छे !!
सुहागण बाहरे आव  !
घुड़लो घूमे छे जी घूमे छे !!
अब यह घुड़ला क्या है ? घुड़ला घुमाने के पीछे क्या उद्देश्य था ?
कोई नहीं जानता है ,इस पर्व की मूल घटना विस्मृत होने से उद्देश्य से ठीक विपरीत भाव से अत्याचारी घुड़ला खान की पूजा शुरू हो गयी ।यह भी ऐसा ही घटिया ओर घातक षड्यंत्र है जैसा कि अकबर को महान बोल दिया गया !
दरअसल हुआ ये था की घुड़ला खान अकबर का मुग़ल सरदार था और अत्याचार और पैशाचिकता में भी अकबर जैसा ही गंदा पिशाच था !
ज़िला नागोर राजस्थान के पीपाड़ गांव के पास एक गांव है कोसाणा ! उस गांव की लगभग 200 कुंवारी कन्याएं गणगौर पर्व की पूजा कर रही थी, वे व्रत में थी गणगौर व्रत करने वाली कन्याओं और महिलाओं को  मारवाड़ी भाषा में तीजणियां कहते हैं !
गाँव के बाहर मौजूद तालाब पर गौरी पूजन करने हेतु  सभी तीजणियां एकत्र हुई थी ।उधर से ही घुडला खान अपनी फ़ौज के साथ निकल रहा था,उसकी गंदी नज़र उन  तीजणियों पर पड़ी तो उसकी वंशानुगत इस्लामी पैशाचिकता जाग उठी !
उसने बलात्कार के उद्देश्य से तीजणियों का अपहरण कर लिया , जिस किसी  ने विरोध किया वही  मौत के घाट उतार दिया गया !
इसकी घटना की सूचना घुड़सवारों ने जोधपुर के राव सातल सिंह राठौड़ जी को दी !
राव सातल सिंह जी और उनके घुड़सवारों ने घुड़ला खान का पीछा किया और कुछ समय मे ही घुडला खान को रोक लिया। घुडला खान का चेहरा पीला पड़ गया उसने
सातल सिंह जी की वीरता के बारे मे सुन रखा था ! उसने अपने आपको संयत करते हुये कहा, " राव तुम मुझे नही दिल्ली के बादशाह अकबर को रोक रहे हो इसका ख़ामियाज़ा तुम्हें और जोधपुर को भुगतना पड़ सकता है "
राव सातल सिंह बोले , पापी दुष्ट ये तो बाद की बात है पर अभी तो मैं तुझे तेरे इस गंदे काम का यहीं पर दण्ड  देता हूँ!
राजपुतों की तलवारों ने दुष्ट मुग़लों के ख़ून से प्यास बुझाना शुरू कर दिया था ,
संख्या मे अधिक मुग़ल सेना के पांव उखड़ गये , राव सातल सिंह और उन की वीर सेना ने भागती मुग़ल सेना का पीछा कर ख़ात्मा कर दिया गया ! दुष्ट घुड़ले खान का शरीर तीरों से छलनी हो चुका था  . राव सातल सिंह ने तलवार के भरपुर वार से घुडला खान का सिर धड़ से अलग कर उसे हिन्दू महिलाओं के अपमान का दण्ड दे दिया !
राव सातल सिंह ने सभी तीजणियों को मुक्त करवा उनकी सतीत्व की रक्षा करी !
इस युद्ध में वीर सातल सिंह जी अत्यधिक घाव लगने से वीरगति को प्राप्त हुये !
कोसाणा  गाँव के तालाब पर सातल सिंह जी का अंतिम संस्कार किया गया, वहाँ मौजूद सातल सिंह जी की समाधि उनकी वीरता और त्याग की गाथा सुना रही है !
गांव वालों ने  तीजणियों को दुष्ट घुडला खानका सिर सौंप दिया !
बच्चियों ने घुडला खान के सिर को घड़े मे रख कर उस घड़े मे जितने घाव घुडला खान के शरीर पर हुये उतने छेद किये और फिर पुरे गाँव मे घुमाया और हर घर मे रोशनी की गयी !
यह है घुड़ले की वास्तविक कहानी जिसके बारे में अधिकांश लोग अनजान हैं ।
लोग हिन्दु राव सातल सिंह जी को तो भूल गए और पापी दुष्ट घुड़ला खान को पूजने लग गये !
इतिहास की सचाई जानें , हर भारतीय को इस बारे में बतायें और वीर सातल सिंह राठौड़ की पूजा करें  !
वीर सातल सिंह जी को याद करो नहीं तो हिन्दुस्तान के ये तथाकथित गद्दार इतिहासकार उस घुड़ला खान को देवता बनाने का कुत्सित प्रयास करते रहेंगे जैसे हर सड़क किनारे दफन किए गए भिखारियों  को गाजी बाबा बना कर हिन्दुओं से सजदे करवाए जाते हैं .......

(((((भ्राता Mahendra Meghwanshi द्वारा प्रेषित टिप्पणी का संपादित भाग .
उन्हें यह जानकारी Girvar Rathore Udeka जी द्वारा प्राप्त हुई , कुछ जानकारी मेरे पास भी थी जिसे संयुक्त प्रयास से पूर्ण रूप प्राप्त हुआ है @दिनेश विस्सा अकिल))))

शनिवार, 1 अप्रैल 2017

●●●●जब अंग्रेज पहली बार ओडिशा आए थे●●●●

अंग्रेजों ने सबसे पहले साल 1633 में ओडिशा के तटवर्त्ती क्षेत्रों में अपना वाणिज्य केन्द्र बनवाया । उन्हें मोगल सल्तनत से इसकी अनुमति पत्र तो मिला था मगर उन गोरों ने जहाँ उनको जगह दिया गया था वहीं वाणिज्य केंद्र न बनाकर एक स्थानीय व्यक्ति के जगह पर बना दिया.....
फिर क्या था ....
अगले साथ आठ वर्षों तक दोनों पक्षों के बीच  झगडे दिन व दिन बढते चलेगये और अन्ततः
1644 को स्थानीय लोगों ने अंग्रेज व्यापारीओं पर
ऐसे हमले किए कि वह लोग सब छोडछाडकर
पास के जंगल मे भाग गये.....

अंग्रेज उस हमले से इतने भयभीत हो गये थे कि जंगल में ही कुछ दिनों तक छिपे रहने को सही समझा....

उस जंगल में फलदार वृक्ष कम ही थे मगर
ताड के वृक्ष बहुतायत में मिलजाते थे....
वहाँ उन ताड के वृक्षों में से नशीली रस ताडी निकालने को हांडी लटकाया गया था.....
मारे भुख और प्यास के अंग्रेज वह ताडी़ पिइ कर
आखीर में बिमारी का शिकार होकर मरने लगे.....

पुरानी अंग्रेजी डक्यूमेंट के मुताबिक इस भयनाक अवस्था से बच निकलकर मुट्ठी भर अंग्रेज मद्राज पहँच पाए थे.. .....
मद्राज में भी जब अंग्रेज पैर जमाने में विफल हुए वो बंगाल कि ओर कुच कर गये....

यदि बंगाल में इन कुत्तों कि वाजेगाजे के साथ स्वागत न किया गया होता
वरन पत्थर मारकर भगाया गया होता तो शायद
वह फिर भारत न लौटते उसी जाहाज में  इंलण्ड चलदिए होते.....

●●●●मनुस्मृति नहीं आपका सोच गलत है●●●●

ब्राह्मणां जायमानो हि पृथिब्यामधिजायते ।

ईश्वरः सर्वभूतानां
धर्मकेशस्य गुप्तये ।। 99 ।।

सर्व स्वं ब्राह्मणस्येदं
यत्किञ्चिज्जगतीगतम् ।
श्रेष्ठवेनाभिजनेनेदं
सर्व वै ब्राह्मणोऽर्हति ।। 100 ।।

[[मनुस्मृति प्रथमोध्याय ]]

ब्राह्मण का उत्पन होना ही पृथ्वी मे श्रेष्ठ होता है ,क्युँ कि संपूर्ण जीवोँ के धर्मरुपी खजाने कि रक्षार्थ वह प्रभु है (अर्थात् धर्मोपदेश ब्राह्मण द्वारा ही होता है) !!99!!

जो कुछ जगत् के पदार्थ है वे सब ब्राह्मण के है ।
ब्रह्मोत्पतितिरुप श्रेष्ठता के कारण
ब्राह्मण सम्पुर्ण को ग्रहण करने योग्य है ।। 100 !!

अब कनैया कुमार जैसे जातिवादी लोग इन दोनोँ श्लोकोँ का अर्थ करते समय
#ब्राह्मण शब्द को जाति विशेष ही समझ बैठते है ।

इसमे मनुमहाराज कि क्या गलती ?
जब आधुनिक मनुष्य ही अर्थ का वीरर्थ करने मे सिद्धहस्थ है ।

पुरातन कालमे
ब्राह्मण,
ब्रह्मवेत्ता विद्वान को कहाजाता
था अर्थात् वे जिन्हे ब्रह्माण्ड का रहस्य ज्ञात होता था
वे जो ज्ञान के सागर होते थे
कालान्तरमे उनके पुत्र कन्या दी ब्राह्मण कहलाये
और यह विशेषज्ञयता निरन्तर बढ़ता चला गया !!

वैज्ञानिक मानसिकता संपन्न व्यक्ति मनुस्मृति मे उत्तरगोलार्ध दक्षिणगोलार्ध ढ़ुंड रहा है
ये उसकी अपनी मानसिकता है
मैँ इसे उसकी मुल्लोँ से प्राप्त मिलावटी ज्ञान ही समझता हुँ !!

मनुस्मृतिमे ऐसे कई विवादित श्लोक है
जिसे मुल्ले ,और जातपात मे अंधे हो चुके निम्नवर्ग के लोगोँ ने समाज के समीप गलत ढ़ंग से पैस किया हुआ है ।

मनुस्मृति गलत नहीँ
आपका सोच गलत है