सोमवार, 4 नवंबर 2013

आओ पर्यावरण को बचायेँ

Cleancity greancity कहलानेवाला सुरत 2 दिनोँ से फटाकडा(पटाकोँ ) के धुएँ और इसके मलवे से प्रदुशित हो गया है...परंतु smc जल्द ही सफाई कामोँ मेँ जुट गयी है...पर्यावरण शुद्ध रखना हमारा पहला कर्तव्य होना चाहिये युँ ध्वनि तथा वायु प्रदुशण कर हम अपने ही घर को बरबाद करने मेँ लगे हेँ....मेँ भी बचपन मेँ पटाकोँ फोडा करता था पर जब मेरा दोस्त ऐसे ही एक Accident मेँ मारा गया मुझे इनके भयावहता का एहसास हुआ....राम जी तथा अयोध्या वासीयोँनेँ 5000 साल पहले पटाके नहीँ दीप जला कर दिवाली मनाया था क्युँ की 5000 साल पहले बारुद की उदभावन नहीँ हुआ था... तो दोस्तोँ जो सच्चे हिंदु है वो कतई पटाकेँ नहीँ फोडेगेँ क्युँ कि हिंदु धर्म कभी भी पर्यावरण के खिलाफ कोई भी मत नहीँ रखता ....आप सबको विक्रम संवत 2070 की शुभकामनायेँ पर्यावरण की रक्षा से ही हमारी होती रहेगी रक्षा.....जय हिंद

दंगोँ से दुर रहेँ

दो दिन पहले लोगोँ ने बडे धुमधाम से दिपावली मनाया . उस दिन रात को तो दीपोँ के जगमगाहट से अंधेरे को मिटा दिआ परंतु अपने मन अंधकारमय है ये वात भुल वैठे . 1 दिन वाद कई जगहो मेँ सांप्रदायिक हिँसा इस वात का सबुत है . कुछ लोग लगातार Social media का इस्तेमाल दंगेँ फैलाने के लिये कर रहे है जिससे आये दिन सांप्रदायिक हिँसा फलफुल रहा है . दंगे होने पर सबसे बड़ा खतरा औरतोँ पर रहता है और ऐसे अबसर पर अकसर बो दंगोँ के शिकार होती हे . ये बात सत्य है और इतिहास इसे कई वार दोहरा चुका है . हाल भारत मेँ हो रहे भ्रष्टाचार चरम पर हे और ऐसे मेँ मुस्लिम तथा हिँदु संस्थाओँ के बीच आपसी तनाव चुनाव के चलते और भी जटिल होता जा रहा है. कमनम्यान को समझना होगा की उसे जाहाँतक हो सके इन तनाव से दुर रहना है वरना ये देस और आम आदमी दोनोँ ही समा मेँ परवाने की तरह जल जायेगेँ...

शुक्रवार, 1 नवंबर 2013

ओडिशा मेँ दीपावली

ओडिशा मेँ दिवाली :- भारत मेँ अलग अलग क्षेत्रोँ मेँ एक ही त्योहार के अलग अलग रुप होते हैँ . उत्तर तथा पश्चिम भारत मेँ इस पर्व को भगवान राम के अयोध्या आगमन के याद मेँ मनाया जाता है परंतु ओडिशा मेँ इसी दिन आपने पूर्वोजोँ को दिये जला कर विदा किया जाता है .. विश्णु पुराण मेँ वली राजा और वामन अबतार की कथा आती है जिसमेँ भगवान राक्षस राज वली के गर्व को ध्वंस्त कर उसे पाताल लोक मेँ स्तान देते हेँ और साल मेँ केवल एक माह के लिये पृथ्वी मेँ आनेँ का वरदान भी देते है . और यही वो मूल कथा जिसको आधार मानकर ओडिशा मेँ दिवाली को एक अलग ही रंग मेँ बनाया जाता है....जाते हुए आपने पूर्वजोँ को लोग यह मंत्र कहकर विदा करते है "गंगा जाओ गया जाओ अंधकार मेँ आये थे और उजाले मेँ जाओ".,.,.,.,