रविवार, 2 मार्च 2014

कट्टरवादीओँ को सबक सिखाओ

कुछ लोगोँ को चक्रव्युह , सत्याग्रह , लज्या ,राजनीति, ओ मांइ गॉड जैसे फिल्म अछा नहीँ लगता । अपने समाज को महान कहनेवाले कट्टरवादी शायद दीप के नीचे कितना अंधेरा हे जानते नहीँ या जानकर अंजान बनते फिरते हे । हर धर्म जाती संप्रदाय देश सहर गांव और इंसान में गलतीआं होता है और वो उससे अनजान रहता हे ।खुदको कट्टरवादी कहनेवाले पाखडं मेरे एक सवाल का जबाब देँ क्या उनके धर्म मेँ कोई वुराईआ नहीँ है ? क्या उनके धर्म मेँ अंधविश्वास और कुरीति नहीँ है ? एक कट्टरवादी नेँ मुझे पुछा भाई बताओ मेरे धर्म मेँ कहाँ कहाँ अंधविश्वास और कुरीतिआँ हे तो मैनेँ उसे एक लंबा चौडा उत्तर दिया जिससे उसकि बोलती बंद हो गयी । मैनेँ उसे कहा दिवाली मेँ पटाके जलाना गलत हे वायु प्रदुषण और ध्वनी प्रदुषण होता हे । होली मेँ आजकल कृत्रिम रंग व्यवहार किया जाता है जिससे जल तथा मृत्तिका प्रदुषण होता हे । रिवाज के नाम पर युपी विहार राजस्थान मेँ बाल विवाह होता है ये गलत हे । नदी और समदंर मेँ plaster of peris नामके एक केमिकल से बने तथा कृत्रिम रंग लगे मूर्ति विसर्जन किया जाता हे जल प्रदुषण होता हे गलत हे । किसी प्राणी को धर्म के नाम पर हत्या करना गलत हे मन और आध्यात्मिकता पर असर होता हे । आस्था के नाम पर प्रकृति के साथ अन्याय हो रहा हे । पिछले साल गणेश विसर्जन पर लुंगी ड्यान्स देखकर समझगया था यहाँ भगवान के भक्त नहीँ शराबी और नशेखोर नाच रहे है । भगवान क्या तुम्हारे ड्यान्स देखने के लिये लालायीत हे वो भी नग्न ! भक्त मेँ भी हुँ पर मेँ भगवान जी के आगे Remix dj लगाकर नहीँ नाचता । इसवार महाशिवरात्री कि वात ले लो भगवान भांग पीते हे इसलिये भक्त भी गटक जाते यहाँ तो ऐसे ऐसे भक्त मिलते है जो शराब पीकर भगवान जी को धमका ते ओ गोड मुझे वाईफ चाहिये लंडन पैरिस मेँ लाईफ चाहिये, सुंदर सी एक वाईफ चाहिये। कुछ तो ऐसे हे जो भगवान के नाम पर पूजा पर्व मेँ चंदा मांग मांग कर लुटते और नहीँ दिया तो तोडफोड और मारकाट तक बात चले जाते । कोई नहीँ दे रहा है तो क्या नंगा करके जबरदस्ती लोगे ? ओ माईँ गॉड मेँ जब इस सच्चाई को दिखाया गया कट्टरवादी भडकगये । भाई धर्म के ठेकेदारोँ को अगर चोर कहोगे बुरा तो लगेगा हि ना । लोग इनके दुकानोँ मेँ जाना छोड़ देँगे । इसलिये ये लोग सोसियाल मिडिया को आधार बनाकर कट्टरवाद फैला रहे है और हम जब आपस मेँ लढ़ मर रहे होगेँ ये चुहे अपने बील मेँ जा छुपेगेँ । सोशियाल मिडिया मेँ खुदको कट्टरवादी कहनेवालोँ मेँ कोई दम नहीँ ये लोगोँ को सिर्फ चिल्लाना आता है और जब लढ़ने का वक्त आयेगा ये मैदान छोडकर खिसक जायेगेँ और आप हम धर्म जात भाषा के नाम पर आपस मेँ लढ़लढ़कर मरजायेगेँ ।

रविवार, 23 फ़रवरी 2014

डोनीगर कि सच्चाई

अमेरिकन लेखिका वेन्डी डोनीगर एवं उनके सहायकोँ के द्वारा तैयार किये गये किताबोँ और आर्टिकल्स मेँ हिंदु धर्म तथा हमारे देवी देवता मुनी ऋषिओँ को विकृत और निम्न कोटी का बताया जाता रहा हे । अमेरिकन युनिवर्सिटी और स्कुल कलेजोँ मेँ ड़ोनीगर और गृप का काफी प्रभाव हे । ऐसे मेँ भारत के वारे मेँ पश्चिमी समाज मेँ गलत धारणाएँ जन्म ले रही हे । कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट मेँ चल रहा डोनिगर के खिलाफ केस मेँ पुस्तक प्रकाशन संस्था को लगा कि वो कैस हार जायेगेँ । तब इस गृप को अपनी नया किताब the hindus : the oldernetive history को बजार से वापस लाना पड़ा । बाद मेँ वेन्डी डोनीगर नेँ भारतीय कानुन पर हमला करते हुए कहा कि इस मेँ बदलाव कि जरुरत हे । वेन्डी डोनीगर और गृप हिँदु धर्म के देवी देवता ,श्रीराम,श्रीकृष्ण ,रामकृष्ण से गांधी तक तमाम भारतीय महापुरुषोँ को फ्रोइड कि मनोविग्यान के आधार पर मूल्याकंन करते हे जिसके केँद्र मेँ हे इगो सुपर इगो इड और सेक्स् । जेफ्री क्रिपाल कि पुस्तक Kali's chind मेँ लेखक ने रामक्रिष्नन परमहंस और स्वामी विवेकानंद के वीच सजातीय संबध होने के दावे किये । इस प्रकाशन के कई किताबोँ मेँ ऐसे ऐसे बात लिखेगये हेँ जिन्हे पढ़कर किसी हिंदु को क्रोध आ जायेगा । 73 साल के वेन्डी डोनीगर अपने किताबोँ के जरिये हिँदु धर्म पर हमले कर रही हे जो किसी भी हिँदु के लिये असहनीय और संवेदनशील विषय हे । राजीव मल्होत्रा जैसे कुछ हिँदुओँ ने वर्षोँ से डोनिगर के फिलाफ मुहिम छेड़ रखी है और वो अब सफल हो रहे हे । हिँदु धर्म ना समझकर इरादा पूर्वक आरोप लगानेवाले इन लेखकोँ को आखिरकार किसने यह अधिकार दिया कि वो हिँदु धर्म पर किचड़ उछाले । आज भारतीय युवा बिना जानेँ समझे डोनीगर कि किताबोँ को सत्य मान बैठता हे जबकि उसे हिंदुधर्म के वारे मेँ कोई ग्यान न होता । जब पूर्व और पश्चिम का मनोविज्ञान और आधारभूत धर्मदर्शन ही विपरीत है, तब इस बात की आशा करना ही व्यर्थ है कि कोई पश्चिमी “प्रोफ़ेसर” भारतीय मिथक को सही ढंग से समझेगा या समझाएगा । अकादमिक ढंग के प्रोफेसर्स या लेखकों से इस विषय में न्याय की कोई संभावना नहीं है । वहीँ इस प्रकरण से जो असली प्रश्न उठने चाहिए थे वे प्रश्न हमारे बिकाऊ मीडिया ने दबा दिए हैं. इस षडयंत्र में सदा की तरह पश्चिम की बौद्धिक गुलामी में डूबे साहित्यकार शामिल हैं. अब चूंकि साहित्य का मतलब भारत में अपने धर्म और परम्परा को कोसने से रह गया है इसलिए ऐसे साहित्यकारों से उम्मीद करना भी बेमानी है । साहित्यकारों के नाम पर हमारे पास जिन लोगों की भीड़ है वह हर प्रकार से आयातित मूल्यों की गुलाम है । ऐसे मेँ हिँदु धर्म को बचाने के लिये ऐसे किताबोँ को खरिदना बंद करने और जो लोग हिँदु धर्म पर लांछन लगा रहे है उनपर प्रतिवंध लगाना होगा ।

शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

जगन्नाथ और 165 साल का अग्यांतवास

(1568 से 1733 AD ) 165 साल तक के समयकाल मेँ पुरी श्री जगन्नाथ मंदिर पर कईवार अफगानी,मुसलमान और मोगल शासकोँ ने हमला किया । हिँदुओँ कि धार्मिक भावनाओँ को ध्वंस्त विध्वंस्त करदेने के लिये मुसलमान शासकोँ नेँ जी तोड़ कोशिश की । रक्तवाहु से कलापाहाड़ , कल्यानमल्ल से तकि खाँ तक जितने भी आक्रमणकारी आये हिँदुओँ के आराध्य देवता श्री जगन्नाथ जी को जीत न लेने तक ओड़िशा को जीतना असंभव और व्यर्थ प्रयास होगा ये समझगये थे । हमलावर आये हार कर चलेगये उन्हे सिर्फ हार और नैराश्य हात लगा । इन यवन आक्रमणकारीओँ से श्रीविग्रह रक्षा हेतु दो वृत्तिभोगी सेवक जाति को नियुक्ति किया गया । इनके वंशज अभी भी पुरी मेँ निवाश करते हे (CHAPA DALEI , AARATA DALEI ) जब कभी आक्रमण की सुचना मिली तिनोँ श्रीविग्रह को अग्यांत स्तान पर स्तानांतरण कर लिया जाता ।

सर्वप्रथम आक्रमण 1568 मेँ रक्तवाहु ने किया था ये एक अफगानी हमलावर जिसने पुरी मेँ तवाही मचाया था । उस समय श्रीविग्रह सोनपुर ले जाकर अग्यांतवास मेँ रखा गया था ।

1607 मेँ हमला हुआ तो श्रीविग्रह कपिलेश्वर मंदिर (पुरी मेँ स्तित एक मंदिर) अग्यांतवास मेँ रखागया था !


1610 मेँ केशु दास नाम से एक मोगल सुवेदार ने श्रीमंदिर मेँ आक्रमण किया था और तिनोँ रथ को आग लगा दिया था ।

जब 1615 साल मेँ तोदरमल्ल का पुत्र कल्यान्मल्ल नेँ पुर्नवार श्रीमंदिर पर हभला किया श्रीविग्रह को ले जाकर चिलिका (LAKE) ह्रद मेँ गुरुवरदाई नामक स्थान पर रखागया था ।

1622 मेँ सुवेदार अहमन् वेग नेँ जब पुरी कुच किया तो भगवान भाई वहन वीरोँ के भुमि माणित्री गड़ अग्यांतवास विताने आये ..!

1624 मेँ फिर हमला हुआ तब श्रीविग्रह साक्षिगोपाल नामके स्थान पर छुपाकर रखागया ।

1647 और 1698 मेँ भयकंर युद्ध हुआ था और मोगल शक्ति को परास्त होना पड़ा था ।

1733 तकि खाँ कटक को नाएव निजाम होकर आया तब सार ओड़िशा मेँ एक अनजाना भय मेँ लोग ड़र रहे थे । 1733 मेँ तकि खाँ नेँ आखरीवार जगन्नाथ पुरी पर हमला किया तब श्रीविग्रह को गंजाम जिल्ला के आठगड़ मेँ स्थित मारदा (Sarana rakhyana marada)नामक स्थान पर तिन साल तक छुपाकर रखा गया था । इसके अलावा वाणपुर नयागड और ढ़ेकांनाल मेँ भी श्रीविग्रह को अग्यातंवास मेँ रखा गया था । ओड़िआओँ नेँ मुसलमानोँ के आगे घुटने नहीँ टेके वो हमारे बहू बेटियोँ के उपर अत्याचार किया हमारे कई मंदिर तोड़े हमारे रथ जलादिया पर