कामाक्षानगर ओड़िशा राज्य कि ढ़ेकानाल जिल्ला का एक सहर है ।
इसे अंग्रेजीराज के समय # मढ़ीके नामसे जाना जाता था ,19वीँ सदी के मध्यभाग मेँ यहाँ असम राज्य कि अधिष्ठात्री देवी कामाक्षी कि मंदिर निर्माण करते हुए सिँहदेउ राजपरिवारने इस प्रान्त का नाम मढ़ी से कामाक्षानगर करदिया था ।
स्वतंत्रता संग्राम के समय मढ़ी सहर स्वतंत्रता संग्रामीओँ का गढ़ बना था । यहाँ लोगोँने राजा व अंग्रेजीराज के खिलाफ परेशान हो 1940तक हतियार उठालिया था इसे ओड़िशा इतिहास मेँ # प्रजामेलीके नाम से जानाजाता है !!
कामाक्षानगर के अलावा तालचेर कटक आदि क्षेत्रोँ मेँ प्रजामेली काफी उग्र रुप बना था ।
कामाक्षानगर मेँ हो रहे इस जन आंदोलन दमन करने के लिये अंग्रेजोँ ने ब्राह्मणी नदी पार करते वक्त 12 साल की खंडायत बच्चे # बाजी_राऊतको मार दिया बाद मेँ उसके वीरता निडरता कि किस्से गाँव गाँव मेँ मशहुर हुए !!! ओड़िआ लेखक कविओँ के लेख कविता मेँ बाजी राऊत आज भी जिँदा है । ढ़ेकानाल सहर मेँ बाजी राऊत कि याद मेँ एक मिनार का निर्माण किया गया और उस चौक को बाजी चौक नामित किया गया है ।
1980 तक कामाक्षानगर मेँ एक नग्न आदिवासी जाति पायेजाते थे परंतु वक्त के साथ साथ आज वहाँ के प्रायः सभी लोग सभ्य मनचुके है ।
कामाक्षानगर सहर राष्ट्रिय राजपथ नं 200 द्वारा तालचेर व राष्ट्रिय राजपथ 221 द्वारा ढ़ेकानाल से जुड़ा है । ढ़ेकानाल से इसकी दूरी 21 किलोमिटर हे । यहाँ की मुख्य त्यौहारोँ मेँ काली व लक्ष्मी पूजा जिल्ला भर मेँ प्रसिद्ध है ।