बुधवार, 16 अक्तूबर 2013

ये दोस्ती....महाभारत से बर्तमान तक

चीन और पाकिस्तान की दोस्ती देखकर मुझे महाभारत के दो मुख्यपात्रोँ कि याद आ रही है एक है कौरव राजकुमार दुर्योधन और दुजे महारथी कर्ण ! जिस तरह कर्ण अपने महत्वकांक्षाओँ के कारण हि दुर्योधन के मित्र बना था आज चीन वही इतिहास फिर दौरा रहा है . अगर पाकिस्तान की और ध्यान दिया जाय तो वह निःसंदेह पाक साफ जमीन है और दुर्योधन के अहंकार को हटाकर देखेँ तो वो भी उत्तम पुरुष था ! कहते है दुर्योधन लक्ष्मी जी के भाई थे तथा उनके चलने पर अपने आप चरण चिन्ह पर फुल के पौधे उग जाते . पाक को नापाक बनाने मेँ और कोई नहीँ उन्ही के देश मेँ जन्मेँ कुछ जयद्रथ और शकुनीयोँ का हात है . ताजा खवर यह है की चीन पाकिस्तान को परमाणु ऊर्जा आपुर्ती के नाम पर दो नये सैयंत्र दे रहा है . कुछ साल पहले चीन नेँ पाकिस्तान मेँ कराची के पास 15 करोड डलार खर्च पर ग्यादर पोर्ट का निर्माण किया और सर्फ पाकिस्तान ही नहीँ मालडीव और श्रीलंका मेँ भी हाल पोर्ट वना रहा है . चीन को सबसे बड़ा खतरा अंडामान निकोवर प्रायद्विप को है . कुछ साल पहले आंडामान के निकट कोको द्विप को भी चीन नेँ हतिया लिया है और अब उसके निशाने पर अंड़मान प्रायद्विप आ गया है . चीन के साथ दक्षिण एसिआ मेँ टक्कर लेनेवाला कोई देश अगर है वो भारत है और हाल मेँ हो रहे उथलपुथल से चीन की नियत मेँ खोट नजर आता है . अगर महाभारत को ध्यान से पढ़ाजाय तो वहाँ भी यही सब हुआ था . वो समय ऐसा था भगवान स्वयं धरती पर अवतारित थे परंतु हाल फिल्हाल कोई कृष्ण तो है नहीँ . हमेँ अपना भविष्य खुद बनाना होगा और चीनी प्रडोक्ट को खरीद नेँ से बचना होगा ! आखीर मेँ यह शेर अर्ज करता हुँ..."मेरे पडोशी न जाने कबसे मुझे दुशमन समझ वैठे है हमनेँ भेजा था दोस्ती का पैगाम लेकिन उन्हे सिर्फ युद्ध का शंखनाद सुनाई देता है" (war... छोडना यार.....मेँ जैसे चीन को सबके सामने थप्पड मारा गया है ठीक वैसे ही)